कब है दुर्गा अष्टमी? किस देवी की होगी पूजा? जानें मुहूर्त, महत्व और व्रत के फायदे

चैत्र शुक्ल अष्टमी को दुर्गा अष्टमी या महा अष्टमी होती है. इस दिन व्रत रखते हैं और पूजा करते हैं. दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा करने का विधान है. इस बार दुर्गा अष्टमी पर पुनर्वसु नक्षत्र और सुकर्मा योग होगा. जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि की दुर्गा अष्टमी कब है? पूजा का मुहूर्त क्या है? दुर्गा अष्टमी पर किस देवी की पूजा होती है?

चैत्र नवरात्रि 2025 दुर्गा अष्टमी तारीख
हिंदू कैलेंडर के अनुसार, इस बार 4 अप्रैल को रात 8 बजकर 12 मिनट पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि प्रारंभ होगी. यह तिथि अगले दिन 5 अप्रैल को शाम 7 बजकर 26 मिनट तक रहेगी. तिथि के लिए उदया तिथि की मान्यता है, इस आधार पर दुर्गा अष्टमी 5 अप्रैल शनिवार को है. उस दिन ही दुर्गा अष्टमी का व्रत रखा जाएगा. दुर्गा अष्टमी पर कन्या पूजन भी करते हैं.

दुर्गा अष्टमी 2025 मुहूर्त
5 अप्रैल को दुर्गा अष्टमी के दिन ब्रह्म मुहूर्त 04:35 ए एम से 05:21 ए एम तक है. उस दिन का शुभ समय यानि अभिजीत मुहूर्त दिन में 11 बजकर 59 मिनट से दोपहर में 12 बजकर 49 मिनट तक है.

सुकर्मा योग और पुनर्वसु नक्षत्र में दुर्गा अष्टमी 2025
इस साल की दुर्गा अष्टमी पर सुकर्मा योग और पुनर्वसु नक्षत्र है. उस दिन सुकर्मा योग रात 8 बजकर 3 मिनट से लेकर पूरी रात तक है. अगले दिन 6 अप्रैल को शाम 6 बजकर 55 तक यह योग बना है. वहीं पुनर्वसु नक्षत्र सुबह से लेकर 6 अप्रैल को 05:32 ए एम तक है. उसके बाद पुष्य नक्षत्र होगा.

दुर्गा अष्टमी पर किस देवी की पूजा होती है?
दुर्गा अष्टमी के दिन मां दुर्गा के आठवें स्वरूप की पूजा करते हैं. उनका नाम मां महागौरी है. भगवान शिव के वरदान से देवी पार्वती को अतिगौर वर्ण प्राप्त हुआ था, जिसकी वजह से उनका नाम महागौरी पड़ा. भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए देवी पार्वती ने हजारों वर्षों तक कठोर तप किया था, जिसके फलस्वरूप उनका शरीर कमजोर और काला पड़ गया था. उनकी तपस्या से प्रसन्न होकर शिव जी ने उनको वरदान दिया. मां महागौरी सफेद कपड़े पहनती हैं और उनकी सवारी बैल है. वे चार भुजाओं वाली देवी हैं, जिनके हाथ में त्रिशूल शस्त्र है.

दुर्गा अष्टमी पूजा के फायदे
जो लोग दुर्गा अष्टमी का व्रत रखकर मां महागौरी की पूजा करते हैं, उनकी आयु बढ़ती है और वह व्यक्ति निरोगी रहता है. महागौरी की कृपा से उसके सुख और समृद्धि में बढ़ोत्तरी होती है.